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पिता


जब मौसम ठण्ड के होते थे ,

और सब गहरी नींद सो रहे होते थे ,

थके होकर भी मेरी एक आवाज़ पर जग जाते ,

वो कोई और नहीं मेरे पापा होते थे ||

जब बचपन में कभी नंबर काम आते थे ,

और हम दुखी होकर किसी कोने में गुमसुम से लेट जाते थे ,

तब डांटते नहीं , सदैव उत्तम बनकर अपना श्रेष्टतम देने की जो शिक्षा देते ,

वो कोई और नहीं मेरे पापा होते थे ||

जब छोटे में हम बाज़ार में खो जाते थे ,

घबराकर हम रोने लगते वही बैठ जाते थे ,

तब तुरंत ही आकर जो हमे गोद में ले लेते ,

वो कोई और नहीं मेरे पापा होते थे ||

जब सपना देखकर कभी हम डर जाते थे ,

और आँखे खोलकर करवट बदलने लगते थे ,

तब चुटकुले सुनकर मुझे हसाकर फिर से सुला देते ,

वो कोई और नहीं मेरे पापा होते थे ||

जब रात को इंतज़ार करवाते थे ,

और हम नींद से लड़कर उनका रास्ता देखते रहते थे ,

तब आकर , मुस्कुराकर , बिटटू कहकर ,फिर गोद में लेकर टॉफ़ी देते ,

वो कोई और नहीं मेरे पापा होते थे ||

जब किसी बात से रूठ कर हम सबसे दूर बैठ जाते थे ,

और लाख मनाने पर भी सब जतन कर हार जाते थे ,

तब जिनके पास आते ही हम सब कुछ भूल के खुश हो जाते ,

वो कोई और नहीं मेरे पापा होते थे ||

जब हम मौजों में अपना बचपन बिताते थे ,

बिना किसी कठिनाई के , हस्ते खेलते , कितना मुक्त रहा करते थे ,

तब हमारा भविष्य सँवारने जो अपने वर्तमान से जूझा करते थे ,

वो कोई और नहीं मेरे पापा होते थे ||

जीवन का सफर चलने हम जब थोड़े बड़े हुए थे ,

तब सफलताओं में कुछ बाधाएं हमारे रास्ते का कांटा बनी थी ,

तब जो कभी हमे टूटने नहीं देते और स्वाभिलम्बी बनने की शिक्षा देते थे ,

वो कोई और नहीं मेरे पापा होते थे .

जब ज़िन्दगी असल में जीनी शुरू की , घर से बाहर हम निकले थे ,

छोटी -छोटी तकलीफों से बहुत दुखी हो जाया करते थे ,

तब कभी हार न मानने की शिक्षा देते और हमारा हौसला बढ़ाते ,

वो कोई और नहीं मेरे पापा होते थे ||

जब हम कभी बीमार हो जाया करते थे ,

और मेरे बिना बताये भी मेरी आवाज़ भर से ही जान जाते ,

तब अपना हर काम छोड़कर मेरे पास जो दौड़े चले आते ,

वो कोई और नहीं मेरे पापा होते थे ||

जब हम लोग कभी दुखी होते थे ,तो लेते रहे , पर वो कब चैन से सोते थे ,

हमारे घर में रोशनी बनी रहे , सिर्फ इसलिए वो अंधेरों में फिरते रहते थे ,

हमारे चेहरे पर मुस्कुराहट रखने जो हर पीड़ा ख़ुशी से सह जाते थे ,

वो कोई और नहीं मेरे पापा होते थे ||

कितनी ही कठिन घड़ी क्यों न हो , हमेशा डटकर खड़े रहते थे ,

मुश्किल चुनौतियों में हम सबको साथ लिए एक प्यार की डोर में बाँधे रखते थे ,

हम भी अंदर से टूट न जाएँ , इसलिए कभी अपनी आँख में आंसू नहीं भरते थे ,

वो कोई और नहीं मेरे पापा होते थे ||

खुद को तमाम तकलीफें थी पर कभी मुझे महसूस नहीं होने देते ,

खुद कांटो पे चलकर फूल हमारी राहों में गिराते रहते थे ,

जब हमने चलना शुरू भी नहीं किया था ,तब से मेरी ज़िन्दगी का रास्ता बनाने में जो तत्पर थे ,

वो कोई और नहीं मेरे पापा होते थे ||

जब हम किसी कार्य में असफल हो जाते थे ,

अपने गमो को दबकर , सबसे छुपाकर , अकेले रहने लगते थे ,

तब मेरी तन्हाइयाँ दूर कर मेरे हर गम को साझा करते थे ,

वो कोई और नहीं मेरे पापा होते थे ||

आज ज़िन्दगी के हर बड़े फैसले में जिनसे विचार विमर्श हम करते है ,

समझ भले अब खूब है पर गलतियां हर बार करते हैं ,

तब दुनिया से मिले घावों को ,जिनके चरणों की रज लेकर हम भरते हैं ,

वो कोई और नहीं मेरे पापा होते हैं ||

बस मेरे पापा होते हैं .....

-by KINSHUK YADAV

Love you Dad. Thanks for everything you have given to me. This shayari is dedicated to every father in the world. Bcoz I know a father is a very indispensible part in everyone's life.


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