एक अधूरा अरमान
सब इतना करीब समझते हैं उन्हें हमारे ,
पर जाने क्यों ,पास होकर भी इतने दूर हैं वो |
इस दुनिया तक से बगावत कर ली उनके लिए ,
तो आखिर मर्यादा के किस बंधन से मज़बूर हैं वो ||
प्यार की बहार इंतज़ार कर रही है उनका ,
फिर क्यों नफरत में खुशियां तलाश रहे हैं वो |
सुख का सागर बाहें खोलकर स्वागत कर रहा है उनका ,
तो आखिर क्यों दुःख के आंसू पीने को तैयार हैं वो ||
महफ़िलों में अनजानों से यूं ही रुबरु होते हैं ,
तो फिर क्यों हमसे ज़रा गुफ्तगू करने से भी डर रहे हैं वो |
जी करता है दुनिया भर की खुशियां भर दूँ उनके दामन में ,
पर जाने क्यों ,हमे एक मौका तक देने को तैयार नहीं हैं वो ||
वो नहीं जानते की हम कभी बेवफा नहीं हो सकते ,
शायद इसीलिए हमे अपनी वफ़ा साबित भी नहीं करने दे रहे हैं वो |
हमारे जज़्बात और इरादों की भनक तो होगी ही उन्हें ,
फिर जाने क्यों ,हमारे दिल में उनकी कद्र को पहचानने से भी इंकार कर रहे हैं वो ||
उनकी दुनिया को उनकी कल्पना से कहीं ज़्यादा खूबसूरती से सजाया है मैंने ,
पर जाने कौन सा नज़ारा देखने को बेताब हैं वो |
उनके इस तरफ बढ़ने वाले एक -एक कदम को सुनने को लालायित हैं हम ,
पर पता नहीं किन रास्तों में भटक कर कहीं खो गए हैं वो ||
नहीं जनता था कि कभी किसी से इतनी मोहब्बत भी होगी हमे ,
बस इंतज़ार उस दिन का है की कभी हमे भी इतना तड़प कर चाहेंगे वो |
वो कहे तो सीना चीर के दिखा दूँ की कौन है इस दिल में ,
जनता हूँ खुश बहुत होंगे ,पर मेरे जाने के बाद ये जानकर भी क्या करेंगे वो || -by KINSHUK YADAV